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अनंत चतुर्दशी के दिन क्यों होता है गणेश जी का विसर्जन?

17/9/24

By:

Shubham Hariyani

गणपति बप्पा को शीतलता प्रदान करने की अनूठी परंपरा

गणपति बप्पा को शीतलता प्रदान करने की अनूठी परंपरा

गणेश विसर्जन भारतीय संस्कृति और परंपराओं का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है, और इसका विशेष महत्व अनंत चतुर्दशी के दिन होता है। अनंत चतुर्दशी के दिन गणपति बप्पा की प्रतिमाओं का विसर्जन किया जाता है, जो भगवान गणेश को विदा करने का प्रतीक है। यह परंपरा सदियों से चली आ रही है, और इसके पीछे एक पौराणिक कथा भी जुड़ी हुई है, जो इसे और भी महत्वपूर्ण बनाती है।

पौराणिक कथा का रहस्य

गणेश विसर्जन से जुड़ी एक महत्वपूर्ण कथा के अनुसार, एक बार महर्षि वेदव्यास जी ने भगवान गणेश को महाभारत की कथा सुनाई थी। भगवान गणेश इस कथा को लिख रहे थे, लेकिन उन्होंने वेदव्यास जी के सामने एक शर्त रखी थी कि वे कथा लिखते समय कलम नहीं रोकेंगे। अगर कलम रुकेगी, तो वे कथा लिखना बंद कर देंगे। इस शर्त को स्वीकार करते हुए, वेदव्यास जी ने कथा सुनाना शुरू किया।

यह कथा भाद्रपद मास की शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि से शुरू हुई, और पूरे दस दिनों तक लगातार चलती रही। भगवान गणेश निरंतर कथा को लिखते गए। इतने लंबे समय तक कथा लिखने के कारण गणेश जी के शरीर का तापमान बहुत बढ़ गया।

विसर्जन की परंपरा का उद्भव

जब वेदव्यास जी ने दस दिनों बाद अपनी आंखें खोलीं, तो उन्होंने देखा कि भगवान गणेश का शरीर बहुत अधिक गर्म हो गया था। भगवान गणेश को इस अत्यधिक तापमान से शीतल करने के लिए, वेदव्यास जी ने उन्हें जल में डुबो दिया। इससे गणेश जी का तापमान कम हुआ और उनका शरीर शीतल हो गया। यह घटना अनंत चतुर्दशी के दिन घटित हुई थी, और तबसे यह परंपरा बन गई कि गणेश जी का विसर्जन अनंत चतुर्दशी के दिन किया जाता है, ताकि भगवान को शीतलता प्रदान की जा सके।

विसर्जन का आध्यात्मिक महत्व

इस पौराणिक कथा के माध्यम से हमें यह समझने का प्रयास करना चाहिए कि गणेश विसर्जन केवल एक धार्मिक अनुष्ठान नहीं है, बल्कि इसके पीछे गहरे आध्यात्मिक और सांस्कृतिक संदेश भी छिपे हुए हैं। भगवान गणेश को विसर्जित करना इस बात का प्रतीक है कि हम उन्हें सम्मानपूर्वक विदा करते हैं, ताकि वे अगले वर्ष फिर से हमारे जीवन में सुख, शांति, और समृद्धि लेकर आएं।

विसर्जन का संदेश यह भी है कि जीवन में कोई भी चीज़ स्थायी नहीं है, और हमें अपने अंदर बदलाव को स्वीकारने के लिए तैयार रहना चाहिए। भगवान गणेश का विसर्जन यह सिखाता है कि हमें विनम्रता के साथ अपने अहम को भी जल में विसर्जित कर देना चाहिए, ताकि हम अपने जीवन में शांति और समृद्धि की प्राप्ति कर सकें।

निष्कर्ष


अनंत चतुर्दशी के दिन गणपति विसर्जन का महत्व केवल धार्मिक नहीं, बल्कि आध्यात्मिक और सांस्कृतिक भी है। यह परंपरा हमें जीवन के परिवर्तनशील स्वरूप और भगवान गणेश के प्रति हमारी निष्ठा को दर्शाती है।

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